حديث رقم 5753 - من كتاب المستدرك على الصحيحين - كِتَابُ مَعْرِفَةِ الصَّحَابَةِ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمْ

نص الحديث

5753 حَدَّثَنَا أَبُو الْعَبَّاسِ مُحَمَّدُ بْنُ يَعْقُوبَ ، ثَنَا أَحْمَدُ بْنُ عَبْدِ الْجَبَّارِ ، ثَنَا يُونُسُ بْنُ بُكَيْرٍ ، عَنِ ابْنِ إِسْحَاقَ ، فِي تَسْمِيَةِ مَنْ شَهِدَ بَدْرًا مَعَ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مِنْ بَنِي ضُبَيْعَةَ سَهْلُ بْنُ حُنَيْفِ بْنِ وَاهِبِ بْنِ غَانِمِ بْنِ ثَعْلَبَةَ بْنِ مُجَدَّعَةَ بْنِ الْحَارِثِ بْنِ عَمْرٍو ، وَعَمْرٌو الَّذِي يُقَالُ لَهُ : بَخْرَجٌ *

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التخريج
اخرجه الحاكم في المستدرك ( 31/339 برقم 4937 و 31/349 برقم 5001 و 31/353 برقم 5011 و 31/388 برقم 5234 و 31/389 برقم 5250 و 31/408 برقم 5453 و 31/416 برقم 5501 و 31/417 برقم 5511 و 31/437 برقم 5786 و 31/459 برقم 5864 و 31/460 برقم 5879 و 31/508 برقم 6245 و 31/553 برقم 6571 و 31/613 برقم 6731 ) وأبو نعيم الأصبهاني في معرفة الصحابة ( 119/213 برقم 4695 و 119/213 برقم 4697 و 119/217 برقم 4768 و 119/218 برقم 4806 و 119/218 برقم 4822 و 119/218 برقم 4845 و 119/221 برقم 4926 و 119/225 برقم 5000 و 119/225 برقم 5004 و 119/225 برقم 5010 و 122/261 برقم 5124 و 122/269 برقم 5143 و 122/295 برقم 5182 و 123/297 برقم 5252 و 123/306 برقم 5272 و 123/307 برقم 5273 و 123/314 برقم 5282 و 125/363 برقم 5383 و 125/363 برقم 5390 و 125/364 برقم 5402 و 125/364 برقم 5414 و 125/364 برقم 5417 و 125/364 برقم 5426 و 125/364 برقم 5446 و 125/368 برقم 5507 و 125/368 برقم 5518 و 125/368 برقم 5520 و 125/368 برقم 5534 و 125/368 برقم 5536 و 125/368 برقم 5549 و 125/368 برقم 5551 و 125/368 برقم 5553 و 125/368 برقم 5555 و 125/368 برقم 5561 و 125/369 برقم 5651 و 125/369 برقم 5655 و 125/369 برقم 5658 و 125/369 برقم 5660 و 125/369 برقم 5663 و 125/369 برقم 5720 و 125/369 برقم 5729 و 126/371 برقم 5766 و 126/376 برقم 5776 ) والطبراني في الكبير ( 91/173 برقم 3151 و 92/201 برقم 3305 و 92/217 برقم 3477 و 93/244 برقم 3759 و 93/244 برقم 4036 و 94/260 برقم 4337 و 94/269 برقم 4394 و 96/310 برقم 4542 و 100/355 برقم 5183 و 100/361 برقم 5276 و 100/361 برقم 5280 و 102/411 برقم 5411 و 102/442 برقم 6203 و 136/597 برقم 13974 و 137/603 برقم 40044 و 137/605 برقم 14738 و 137/616 برقم 15093 و 139/622 برقم 15158 و 141/633 برقم 15234 و 141/635 برقم 15314 و 142/645 برقم 16184 و 142/645 برقم 16188 و 142/669 برقم 16569 ) وأبو نعيم الأصبهاني في معرفة الصحابة ( 105/3 برقم 700 و 105/3 برقم 720 و 105/3 برقم 721 و 105/5 برقم 790 و 105/5 برقم 799 و 105/12 برقم 896 و 105/14 برقم 918 و 105/16 برقم 1001 و 106/22 برقم 1217 و 106/22 برقم 1227 و 106/23 برقم 1250 و 106/23 برقم 1251 و 106/23 برقم 1285 و 106/23 برقم 1309 و 107/28 برقم 1369 و 107/36 برقم 1414 و 108/42 برقم 11000 و 108/42 برقم 1849 و 108/43 برقم 1874 و 109/51 برقم 2141 و 109/60 برقم 2248 و 109/60 برقم 2249 و 112/86 برقم 2374 و 113/96 برقم 2521 و 113/96 برقم 2587 و 113/96 برقم 2592 و 113/97 برقم 2671 و 114/99 برقم 2727 و 114/99 برقم 2751 و 114/99 برقم 2761 و 114/99 برقم 2763 و 114/99 برقم 2772 و 114/99 برقم 2775 و 114/99 برقم 2787 و 114/99 برقم 2848 و 114/99 برقم 2851 و 114/100 برقم 2895 و 114/100 برقم 2924 و 114/100 برقم 2939 و 114/101 برقم 2977 و 114/101 برقم 3010 و 114/102 برقم 3081 و 114/103 برقم 3196 و 114/103 برقم 3216 و 115/104 برقم 3335 و 118/174 برقم 3503 و 118/174 برقم 3508 و 119/177 برقم 3540 و 119/177 برقم 3541 و 119/179 برقم 3573 و 119/180 برقم 3587 و 119/180 برقم 3591 و 119/180 برقم 3602 و 119/182 برقم 3637 و 119/185 برقم 3660 و 119/187 برقم 3708 و 119/187 برقم 3719 و 119/192 برقم 3762 و 119/192 برقم 3770 و 119/192 برقم 3917 و 119/192 برقم 3925 و 119/192 برقم 3927 و 119/192 برقم 3930 و 119/192 برقم 3933 و 119/204 برقم 4279 و 119/204 برقم 4281 و 119/204 برقم 4282 و 119/206 برقم 4318 و 119/211 برقم 4490 و 119/211 برقم 4543 و 119/211 برقم 4546 و 119/211 برقم 4548 و 119/212 برقم 4616 و 119/212 برقم 4617 و 119/212 برقم 4620 و 119/212 برقم 4622 و 119/212 برقم 4623 و 119/212 برقم 4659 و 119/213 برقم 4683 )